इस दुनिया में कई देश हैं, लेकिन भारत एक ऐसा देश है जिसे लोग सिर्फ़ एक देश नहीं, बल्कि एक माँ मानते हैं। हम उसे प्यार से भारत माता कहते हैं। यहाँ की गंगा नदी की साफ़ और पवित्र धाराएँ, हिमालय की ऊँची पहाड़ियाँ, हरे-भरे खेत और गर्म रेगिस्तान — ये सब मिलकर भारत माँ का रूप बनाते हैं। इस लेख में हम आपके लिए कुछ नई और प्रेरणादायक देशभक्ति शायरियाँ 2025 लेकर आए हैं, जो न सिर्फ़ दिल को छू जाएँगी, बल्कि देश के लिए कुछ करने का जज़्बा भी जगाएँगी।
देशभक्ति शायरी 2025 शायरी 2 लाइन में
तिरंगे की शान पे कुर्बान हजारों जवान,
भारत माँ के लाल वो, जिनकी कहानी है महान।
वो खून ही क्या जो वतन पे बह न सके,
वो सर ही क्या जो तिरंगे के लिए झुक न सके।
वो जीवन व्यर्थ है जो झुके न राष्ट्र के नाम,
और वो लहू अधूरा है जो न आए देश के काम।
ना पूछो जात मेरी, ना धरम मेरा,
जब बात आए देश की, बस नाम हो ‘हिंदुस्तानी’ मेरा।
नदियों सी बहती गंगा, खेतों में लहराए धन,
भारत माँ की माटी में, बसा है हर जन का मन।
उत्तर से दक्षिण बहती हवा, पूरब-पश्चिम एक परिवेश,
विविधता में जो एकजुट हो, वो है अपना भारतदेश।
कन्याकुमारी से कश्मीर तक, है एकता का दीप जलाया,
रंग-बिरंगी संस्कृति ने, भारत को सुंदर बनाया।
चिड़ियों का चहकना यहाँ, फसलों का लहराना यहाँ,
भारत माँ की गोद में ही, सपनों का सजाना यहाँ।
देश की मिट्टी में घुल जाऊँ, जैसे खुशबू फूलों की,
तेरे चरणों में शीश झुके, हो पूजा धूलों की।
दीप बनूँ अंधेरों में, उजियारा मैं फैलाऊँ,
तेरे चरणों में भारत माँ, खुद को अर्पण कर जाऊँ।
जीवन की आख़िरी साँस तक, तेरा नाम लब पे होगा,
भारत माँ तुझ पर ही तो, हर कर्म, हर धर्म रोशन होगा।
जब तक धड़कन बाकी है, तब तक यही इरादा,
माँ भारती की सेवा ही, जीवन का है वादा।
जब तक चले ये साँस मेरी, तेरा ही हो मार्ग माँ,
हर धड़कन बोले नाम तेरा, तुझपे ही सब कुछ कुर्बान।
गहराई सागर जैसी, ऊँचाई पर्वत समान,
भारत माँ की जय-जयकार, यही है मेरी शान।
नदियों में गंगा बहती, खेतों में सोना उगता,
ये धरती स्वर्ग से सुंदर, जहाँ हर दिल जुड़ता।
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देशभक्ति शायरी 2025 शायरी 1 लाइन में
इस मिट्टी का कर्ज़ चुकाऊँगा, जान देकर भी ये वादा निभाऊँगा।
सर झुके तो भारत माता के आगे, बाकी कोई चिंता नहीं।
न स्वर्ग चाहिए, न ताज चाहिए, बस भारत माँ का आँचल साज चाहिए।
तिरंगा मेरा अभिमान है, मेरा ईमान है।
दौलत नहीं, ना ही स्वर्ग की चाह, माँ के चरणों में ही है मेरी राह।
बोलियाँ हज़ार सही, पर दिलों की बात एक, भारत माँ की गोद में, बसा है प्यार अनेक।
दिल दिया है, जान भी देंगे, ए वतन तेरे लिए हर दर्द सहेंगे।
ज़िंदगी भी तेरे नाम, और मौत भी कुर्बान, ऐ भारत माँ, तुझसे है मेरी पहचान।
हर सुबह तिरंगे को देख मुस्कुरा जाता हूँ, भारत माँ के चरणों में खुद को भूल जाता हूँ।
तेरे लिए मिटना भी हमें मंज़ूर है, ए वतन तेरा नाम ऊँचा रखना ही हमारा गुरूर है।
तेरे लिए मिटना भी हमें मंज़ूर है, ए वतन तेरा नाम ऊँचा रखना ही हमारा गुरूर है।
सीना 56 इंच का है, ना डर है ना हैरानी है, क्योंकि दिल में बसी जो शक्ति है — वो हिंदुस्तानी है।
हमारी वफ़ा देश के नाम है, जो पूछे धर्म, कह दो “हिंदुस्तान” है।
हम वो चिंगारी हैं जो हवा से नहीं डरते, तिरंगे की खातिर मौत से भी लड़ते।
भारत: सिर्फ़ नक्शे पर एक देश नहीं, दिलों में बसी भावना है
जब हमारा तिरंगा झंडा हवा में लहराता है, जब वंदे मातरम् की आवाज़ सुनाई देती है या जब हमारे देश के सैनिक सरहद पर डटे रहते हैं, तब हर भारतीय के दिल में भारत माँ की छवि और भी गहरी हो जाती है। भारत हमारे लिए सिर्फ़ एक जगह नहीं, बल्कि हमारी भावनाओं, संस्कारों और गर्व की पहचान है।
यह वही धरती है जहाँ बुद्ध ने शांति का मार्ग दिखाया, गाँधी ने अहिंसा का पाठ पढ़ाया, और भगत सिंह ने देश के लिए हँसते-हँसते जान दे दी। यहाँ की मिट्टी में इतिहास की खुशबू है, और हवाओं में आज़ादी की साँस। भारत एक ऐसी भावना है, जो हर भारतीय के दिल में जन्म के साथ ही बस जाती है और अंतिम साँस तक रहती है।
भारत की आज़ादी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
भारत की स्वतंत्रता से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें हैं जो हमारे इतिहास, संघर्ष और बलिदान को दर्शाती हैं। यहाँ पर कुछ प्रमुख तथ्य दिए जा रहे हैं जो हर भारतीय को जानने चाहिए:
- 15 अगस्त 1947 को भारत को 200 साल की ब्रिटिश गुलामी से आज़ादी मिली थी।
- भारत की आज़ादी के लिए 1857 से लेकर 1947 तक लाखों लोगों ने संघर्ष किया।
- सिर्फ़ 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में ही लगभग 10,000 से ज़्यादा लोग शहीद हुए।
- सन 1700 में भारत का हिस्सा विश्व अर्थव्यवस्था में करीब 23% था। 1947 तक यह घटकर 3% से भी कम रह गया — यानी अंग्रेजों ने भारत की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह लूट लिया।
- 1950 में भारत की GDP लगभग 2.7 लाख करोड़ रुपये थी, 2024 में यह बढ़कर 300 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है।
भारत माँ का प्रतीक तिरंगा: सिर्फ़ एक दिन नहीं, हर दिन की जिम्मेदारी
आने वाले कुछ दिनों में हम अपना 79वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं, जो कि हर भारतवासी के लिए निश्चित ही गर्व और आत्मसम्मान का पल होता है। यह दिन हमें उन अनगिनत बलिदानों की याद दिलाता है जिनकी वजह से आज हम खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं।
ध्यान रहे, जिस उत्सुकता और श्रद्धा से आप इस दिन सुबह-सुबह तिरंगे का सम्मान करते हैं, वही भावना पूरे साल बनी रहनी चाहिए। अक्सर देखा गया है कि कार्यक्रमों के बाद, कुछ जगहों पर — जैसे सड़कों, घरों या ऑफिसों में — तिरंगा ठीक से नहीं रखा जाता या ज़मीन पर गिरा रहता है। यह न केवल हमारी लापरवाही दिखाता है, बल्कि भारत माता का अपमान भी होता है, क्योंकि यही तिरंगा हमारी माँ का प्रतीक है।
हम सभी की ज़िम्मेदारी है कि तिरंगे का हर हाल में सम्मान करें — ना सिर्फ़ 15 अगस्त या 26 जनवरी को, बल्कि हर दिन। उसे ज़मीन पर न गिरने दें, फटने या गंदा होने से बचाएँ, और अगर कहीं तिरंगा उचित स्थिति में नज़र आए, तो उसे ठीक से उठाकर सम्मानजनक स्थान दें।
याद रखिए, तिरंगा सिर्फ़ एक झंडा नहीं, यह हमारी पहचान, हमारी आज़ादी और हमारी संस्कृति की आत्मा है।
पाठकों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी
उम्मीद है कि आपको हमारा यह लेख, जो कि देशभक्ति शायरी 2025 पर आधारित था, ज़रूर पसंद आया होगा। इस लेख को तैयार करते समय हमने इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न स्रोतों से जानकारी एकत्रित की है। यदि इसमें कोई त्रुटि रह गई हो तो कृपया हमें क्षमा करें। आपके सुझावों और टिप्पणियों का हम सदा स्वागत करते हैं। धन्यवाद! 🙏