भारत की धरती सदियों से आध्यात्मिक चमत्कारों और दिव्य शक्तियों की साक्षी रही है। यहाँ अनेकों प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहाँ भगवान के विभिन्न रूपों की पूजा होती है। इन सबमें सांवरिया सेठ का रूप सबसे अनोखा है। भगवान श्रीकृष्ण का यह सांवला स्वरूप खासतौर पर व्यापार, धन और खुशहाली के लिए प्रसिद्ध है।
कहते हैं, इनके चमत्कार इतने सच्चे हैं कि लाखों लोग इन्हें अपनी आँखों से देख और जीवन में महसूस कर चुके हैं। सांवरिया सेठ के चमत्कार सिर्फ किस्से-कहानियाँ नहीं, बल्कि लाखों भक्तों के जीवन में घटित हुए सच्चे अनुभव हैं, जो आस्था की अद्भुत शक्ति का प्रमाण देते हैं। तो चलिए, जानते हैं सांवलिया सेठ के चमत्कार, सीधे उन भक्तों की जुबानी जिन्होंने इन्हें खुद अनुभव किया है।
सांवरिया सेठ के दिव्य चमत्कार
यहाँ आने वाले कई भक्तों ने अपने जीवन में सांवलिया सेठ के अनेक अद्भुत और अलौकिक चमत्कारों का अनुभव किया है, जिनमें से कुछ का उल्लेख हम नीचे कर रहे हैं।
घी की कुई का चमत्कार
सांवरिया सेठ के सबसे प्रसिद्ध चमत्कारों में से एक है ‘घी की कुई’ का चमत्कार, जिसे कई लोगों ने अपनी आँखों से देखा था। कहा जाता है कि अन्नकूट महोत्सव के दौरान अचानक घी खत्म हो गया। रसोइये और भक्त चिंता में पड़ गए कि अब प्रसाद कैसे बनेगा। तभी एक बुजुर्ग ने अनोखा सुझाव दिया, “कुई से पानी लाओ और कड़ाही में डालो।” जब पास में स्थित कुएँ से पानी निकाला गया और कड़ाही में डाला गया, तो वह शुद्ध घी में बदल गया।
यह देखकर सभी आश्चर्यचकित रह गए और मंदिर में उत्सव फिर से शुरू हो गया। भक्तों का मानना है कि यह स्वयं सांवरिया सेठ की कृपा थी, और आज भी मंदिर में यह ‘घी की कुई’ मौजूद है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।
व्यापारी की बदलती किस्मत
राजस्थान के प्रसिद्ध व्यापारी को अपने व्यापार में अचानक बहुत घाटा होने लगा, जिसके कारण वह काफी चिंतित रहने लगा। तभी उसे एक बुजुर्ग ने सलाह दी कि वह सांवरिया सेठ के मंदिर जाकर सच्चे मन से दर्शन और प्रार्थना करे। व्यापारी ने उनकी बात मानी और श्रद्धा के साथ मंदिर पहुँचा।
सेठ जी के चरणों में माथा टेककर उसने अपनी सारी चिंता उनके हवाले कर दी। कुछ ही दिनों में उसके व्यापार में तेजी से सुधार हुआ और मुनाफा पहले से कई गुना बढ़ गया। आज भी वह व्यापारी मानता है कि यह सब सांवरिया सेठ के आशीर्वाद का चमत्कार है।
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सांवरिया सेठ की कृपा से परीक्षा में सफलता

एक विद्यार्थी कई बार मुख्य परीक्षा में असफल हो चुका था। मेहनत करने के बावजूद परिणाम उसके पक्ष में नहीं आता था। निराशा और हताशा में डूबे उस विद्यार्थी को एक दिन किसी ने सांवरिया सेठ की विशेष पूजा का सुझाव दिया। उसने 21 दिनों तक नियमित पूजा और पाठ किया, साथ ही पढ़ाई में भी पूरी मेहनत जारी रखी। परीक्षा के दिन सब कुछ सहज लगा और परिणाम आने पर उसका नाम चयन सूची में था। वह मानता है कि मेहनत के साथ-साथ यह सांवरिया सेठ की कृपा का ही फल था।
विवाह में आई अड़चन का चमत्कारिक समाधान
जब अच्छे रिश्ते बार-बार बनते-बनते टूटने लगें, तो मन में निराशा घर कर लेती है। लेकिन आस्था की एक किरण, पूरी कहानी बदल सकती है। यही हुआ एक साधारण परिवार के साथ, जिनकी शादी की राह, सांवरिया सेठ की कृपा से, चमत्कारिक ढंग से आसान हो गई।
परिवार की बेटी के विवाह के कई प्रयास हुए, पर हर बार किसी न किसी कारण से बात अटक जाती। कभी अंतिम समय पर शर्तें बदल दी जातीं, तो कभी रिश्ता ही टूट जाता। घर में उदासी का माहौल था और माता-पिता चिंतित रहते कि आखिर कब बेटी का घर बस पाएगा। ऐसे में परिवार की बुजुर्ग महिला ने सबको सांवरिया सेठ की भक्ति में मन लगाने की सलाह दी।
लड़की ने कई दिनों तक श्रद्धा और नियम से पूजा-पाठ किया। हर दिन दीप जलातीं, प्रसाद चढ़ातीं और आशीर्वाद की प्रार्थना करतीं। आश्चर्य की बात यह हुई कि पूजा समाप्त होने के कुछ ही दिनों बाद एक अच्छा रिश्ता सामने आया। इस बार बातचीत सहज और सरल रही, बिना किसी अनावश्यक अड़चन के जल्दी ही विवाह तय हो गया और पूरे परिवार ने महसूस किया कि यह केवल सांवरिया सेठ की कृपा से संभव हुआ।
आज भी वह परिवार मानता है कि सच्चे दिल से की गई प्रार्थना असंभव को भी संभव बना सकती है। उनके लिए यह सिर्फ शादी की कहानी नहीं, बल्कि विश्वास और भक्ति की ताकत का सच्चा सबूत है।
नोट: ऊपर हमने कुछ भक्तों के साथ हुई चमत्कारिक घटनाओं का वर्णन किया है। यदि आपके ऊपर भी कोई अद्भुत सांवलिया जी की कृपा हुई हो, तो हमारे साथ ज़रूर साझा करें। हम उसे यहां प्रस्तुत करेंगे। नीचे आप अपने अनुभव के साथ कमेंट कर सकते हैं।
सांवरिया सेठ मंदिर कहाँ और कैसे पहुँचे
सांवरिया सेठ मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के मांडफिया गाँव में स्थित है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ शहर से लगभग 40 किलोमीटर और उदयपुर से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ तक पहुँचने के कई विकल्प हैं, जैसे सड़क मार्ग, रेल मार्ग और वायु मार्ग। आइए, इन्हें विस्तार से समझते हैं।
- सड़क मार्ग: चित्तौड़गढ़ और उदयपुर से बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
- रेल मार्ग: नज़दीकी स्टेशन चित्तौड़गढ़ और उदयपुर हैं, जहाँ से टैक्सी या बस उपलब्ध है।
- वायु मार्ग: उदयपुर एयरपोर्ट सबसे नज़दीक है, यहाँ से सड़क मार्ग से लगभग 2 घंटे में पहुँचा जा सकता है।
सांवरिया सेठ क्यों प्रसिद्ध है?
सांवरिया सेठ का मंदिर काफी पुराना है, लेकिन बीते कुछ सालों में यहां भक्तों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है। यहां दूर-दूर, देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे दिल से सांवरिया सेठ को अपना व्यवसायिक भागीदार (Business Partner) मानते हैं और श्रद्धा से कुछ राशि दान करते हैं, उनके व्यापार में निश्चित ही वृद्धि होती है। यहां हर महीने दान-पात्र खोला जाता है और उसमें राशि हमेशा 10 करोड़ रुपये से अधिक ही निकलती है।
सांवरिया सेठ मंदिर: दर्शन समय, ड्रेस कोड और मौसम टिप्स
वैसे तो आप कभी भी सांवरिया सेठ के दर्शन कर सकते हैं, लेकिन हम आपको थोड़ा ठंडे मौसम या फिर बारिश के मौसम में जाने की सलाह देते हैं क्योंकि गर्मी के दिनों में राजस्थान में काफी गर्मी पड़ती है और दर्शन करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, शनिवार और रविवार को भक्तों की भीड़ बहुत ज्यादा होती है, जिससे दर्शन का समय भी काफी बढ़ जाता है। इसलिए अगर आप जल्दी और आराम से दर्शन करना चाहते हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
ड्रेस कोड की बात करें तो आरामदायक, साफ-सुथरे और शालीन कपड़े पहनें। साधारण और संयमित पहनावे से मंदिर की पवित्रता और गरिमा बनी रहती है।
पाठकों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी
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